प्रकाश

विस्तृत नोट्स

प्रकाश की किरणें

परिभाषा: प्रकाश की किरणें प्रकाश के सीधे रास्ते हैं जो सीधी रेखा में चलती हैं। उदाहरण: सूर्य की किरणें खिड़की से कमरे में प्रवेश करना।

  • प्रकृति: प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंग है और वैक्यूम में भी चलता है।
  • महत्व: दृश्यता और प्रतिबिम्ब निर्माण में उपयोगी। उदाहरण: टॉर्च की रोशनी।

समान्तर प्रकाश किरण पुंज

परिभाषा: ऐसी किरणें जो एक-दूसरे के समान्तर चलती हैं और नजदीक या दूर नहीं होतीं। उदाहरण: लेजर बीम।

  • विशेषता: एकसमान दूरी बनाए रखती हैं।
  • उपयोग: प्रोजेक्टर और लेजर पॉइंटर में।

अपसारी प्रकाश किरण पुंज

परिभाषा: ऐसी किरणें जो एक बिंदु से निकलकर दूर-दूर फैलती हैं। उदाहरण: बल्ब से निकलने वाली रोशनी।

  • विशेषता: दूरी बढ़ने पर फैलाव बढ़ता है।
  • उपयोग: कमरे की रोशनी में।

अभिसारी प्रकाश किरण पुंज

परिभाषा: ऐसी किरणें जो एक बिंदु की ओर एकत्रित होती हैं। उदाहरण: लेंस द्वारा सूर्य की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करना।

  • विशेषता: एक फोकस बिंदु पर मिलती हैं।
  • उपयोग: सौर कुकर और माइक्रोस्कोप में।

प्रकाश का परावर्तन

परिभाषा: प्रकाश का किसी सतह से टकराकर वापस लौटना। उदाहरण: दर्पण में प्रतिबिम्ब।

  • चिकनी सतह से परावर्तन: नियमित परावर्तन, स्पष्ट प्रतिबिम्ब बनाता है। उदाहरण: दर्पण।
  • खुरदुरी सतह से परावर्तन: विसरित परावर्तन, प्रतिबिम्ब धुंधला। उदाहरण: कागज।

परावर्तन के नियम

परिभाषा: परावर्तन के दो नियम हैं।

  • पहला नियम: आपतन कोण (∠i) परावर्तन कोण (∠r) के बराबर होता है।
  • दूसरा नियम: आपतित किरण, परावर्तित किरण, और सतह का अभिलंब एक ही तल में होते हैं।
  • उदाहरण: दर्पण में किरण का परावर्तन।

समतल दर्पण और प्रतिबिम्ब

परिभाषा: समतल दर्पण सपाट सतह वाला दर्पण है जो आभासी, सीधा, और वस्तु के आकार का प्रतिबिम्ब बनाता है। उदाहरण: बाथरूम का दर्पण।

  • विशेषता: प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है, वस्तु से दूरी बराबर।
  • उपयोग: ड्रेसिंग टेबल, घर की सजावट।

पार्श्व परिवर्तन

परिभाषा: समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का दायाँ-बायाँ उलट होना। उदाहरण: दर्पण में "AMBULANCE" उलटा दिखना।

  • महत्व: एम्बुलेंस पर उलटे अक्षर लिखे जाते हैं ताकि सामने वाले दर्पण में सही दिखें।

गोलीय दर्पण

परिभाषा: गोलाकार सतह वाले दर्पण। उदाहरण: कार का साइड मिरर (उत्तल)।

  • प्रकार: अवतल (अंदर की ओर वक्र) और उत्तल (बाहर की ओर वक्र)।

गोलीय दर्पण के प्रकार

अवतल दर्पण

परिभाषा: परावर्तक सतह अंदर की ओर वक्र होती है। उदाहरण: मेकअप दर्पण।

  • प्रतिबिम्ब: वास्तविक (उलटा, प्रक्षेपित) या आभासी (सीधा, बड़ा)।
  • उपयोग: टॉर्च, सौर कुकर।

उत्तल दर्पण

परिभाषा: परावर्तक सतह बाहर की ओर वक्र होती है। उदाहरण: ट्रैफिक दर्पण।

  • प्रतिबिम्ब: हमेशा आभासी, सीधा, और छोटा।
  • उपयोग: वाहन का साइड मिरर, दुकान में निगरानी।

गोलीय दर्पण के भाग

  • फोकस: वह बिंदु जहाँ समान्तर किरणें परावर्तन के बाद मिलती हैं (अवतल) या प्रतीत होती हैं (उत्तल)। उदाहरण: सौर कुकर में फोकस पर बर्तन।
  • वक्रता केन्द्र: गोले का केंद्र जिसका हिस्सा दर्पण है।
  • वक्रता त्रिज्या: वक्रता केंद्र और दर्पण के बीच की दूरी।
  • ध्रुव: दर्पण का मध्य बिंदु।
  • मुख्य अक्ष: वक्रता केंद्र और ध्रुव को जोड़ने वाली रेखा।

वास्तविक और आभासी प्रतिबिम्ब

वास्तविक प्रतिबिम्ब: वह प्रतिबिम्ब जो स्क्रीन पर प्रक्षेपित हो सकता है, उलटा होता है। उदाहरण: प्रोजेक्टर की छवि।

आभासी प्रतिबिम्ब: वह प्रतिबिम्ब जो स्क्रीन पर प्रक्षेपित नहीं हो सकता, सीधा होता है। उदाहरण: समतल दर्पण की छवि।

गोलीय दर्पण का दैनिक जीवन में उपयोग

  • अवतल दर्पण: टॉर्च में प्रकाश को केंद्रित करने, दंत चिकित्सक के दर्पण में, सौर कुकर में। उदाहरण: हेडलाइट में अवतल दर्पण।
  • उत्तल दर्पण: वाहनों के साइड मिरर, ट्रैफिक चौराहों पर, दुकानों में निगरानी। उदाहरण: कार का साइड मिरर।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. प्रकाश किरणें सीधी रेखा में चलती हैं।
  2. प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग है।
  3. समान्तर किरण पुंज एकसमान दूरी पर रहता है।
  4. अपसारी किरण पुंज एक बिंदु से फैलता है।
  5. अभिसारी किरण पुंज एक बिंदु पर मिलता है।
  6. प्रकाश का परावर्तन सतह से टकराकर लौटना है।
  7. चिकनी सतह नियमित परावर्तन देती है।
  8. खुरदुरी सतह विसरित परावर्तन देती है।
  9. परावर्तन का पहला नियम: आपतन कोण = परावर्तन कोण।
  10. परावर्तन का दूसरा नियम: किरणें और अभिलंब एक तल में।
  11. समतल दर्पण आभासी और सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है।
  12. समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार का होता है।
  13. पार्श्व परिवर्तन में दायाँ-बायाँ उलट जाता है।
  14. गोलीय दर्पण गोलाकार सतह वाले होते हैं।
  15. अवतल दर्पण की परावर्तक सतह अंदर की ओर वक्र होती है।
  16. उत्तल दर्पण की परावर्तक सतह बाहर की ओर वक्र होती है।
  17. अवतल दर्पण वास्तविक या आभासी प्रतिबिम्ब बना सकता है।
  18. उत्तल दर्पण हमेशा आभासी प्रतिबिम्ब बनाता है।
  19. फोकस वह बिंदु है जहाँ समान्तर किरणें मिलती हैं।
  20. वक्रता केंद्र गोले का केंद्र है।
  21. वक्रता त्रिज्या ध्रुव और वक्रता केंद्र की दूरी है।
  22. ध्रुव दर्पण का मध्य बिंदु है।
  23. मुख्य अक्ष वक्रता केंद्र और ध्रुव को जोड़ता है।
  24. वास्तविक प्रतिबिम्ब स्क्रीन पर प्रक्षेपित हो सकता है।
  25. आभासी प्रतिबिम्ब स्क्रीन पर प्रक्षेपित नहीं होता।
  26. अवतल दर्पण टॉर्च में प्रकाश केंद्रित करता है।
  27. उत्तल दर्पण ट्रैफिक चौराहों पर उपयोग होता है।
  28. लेजर बीम समान्तर किरण पुंज का उदाहरण है।
  29. बल्ब अपसारी किरण पुंज उत्पन्न करता है।
  30. सौर कुकर अभिसारी किरण पुंज का उपयोग करता है।
  31. दर्पण में प्रतिबिम्ब चिकनी सतह के कारण स्पष्ट होता है।
  32. कागज पर विसरित परावर्तन से प्रतिबिम्ब धुंधला होता है।
  33. समतल दर्पण ड्रेसिंग टेबल में उपयोगी है।
  34. पार्श्व परिवर्तन एम्बुलेंस के अक्षरों में महत्वपूर्ण है।
  35. अवतल दर्पण सौर कुकर में ऊर्जा केंद्रित करता है।
  36. उत्तल दर्पण वाहनों में व्यापक दृश्य देता है।
  37. वास्तविक प्रतिबिम्ब उलटा होता है।
  38. आभासी प्रतिबिम्ब सीधा होता है।
  39. अवतल दर्पण दंत चिकित्सक के उपकरण में उपयोग होता है।
  40. उत्तल दर्पण दुकानों में निगरानी के लिए उपयोगी है।
  41. प्रकाश की किरणें वैक्यूम में भी चलती हैं।
  42. परावर्तन के नियम सभी दर्पणों पर लागू होते हैं।
  43. समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है।
  44. अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब बड़ा या छोटा हो सकता है।
  45. उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा छोटा होता है।
  46. फोकस अवतल दर्पण में ऊर्जा केंद्रित करता है।
  47. मुख्य अक्ष दर्पण की संरचना को परिभाषित करता है।
  48. वक्रता त्रिज्या दर्पण की वक्रता को मापती है।
  49. प्रकाश का परावर्तन दृश्यता के लिए आवश्यक है।
  50. गोलीय दर्पण आधुनिक तकनीक में महत्वपूर्ण हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. प्रकाश की किरणें किस प्रकार चलती हैं?





2. समान्तर प्रकाश किरण पुंज का उदाहरण क्या है?





3. अपसारी प्रकाश किरण पुंज का उदाहरण क्या है?





4. अभिसारी प्रकाश किरण पुंज का उपयोग कहाँ होता है?





5. चिकनी सतह से परावर्तन कैसा होता है?





6. परावर्तन का पहला नियम क्या है?





7. समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब कैसा होता है?





8. पार्श्व परिवर्तन का उदाहरण क्या है?





9. अवतल दर्पण का उपयोग कहाँ होता है?





10. उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब कैसा होता है?





11. फोकस क्या है?





12. वक्रता त्रिज्या क्या है?





13. मुख्य अक्ष क्या है?





14. वास्तविक प्रतिबिम्ब की विशेषता क्या है?





15. उत्तल दर्पण का उपयोग कहाँ होता है?





16. खुरदुरी सतह से परावर्तन कैसा होता है?





17. समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब की दूरी कैसी होती है?





18. अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब कैसा हो सकता है?





19. ध्रुव क्या है?





20. आभासी प्रतिबिम्ब की विशेषता क्या है?





21. अवतल दर्पण का उपयोग कहाँ होता है?





22. उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब का आकार कैसा होता है?





23. परावर्तन का दूसरा नियम क्या है?





24. समतल दर्पण का उपयोग कहाँ होता है?





25. वक्रता केंद्र क्या है?





26. अवतल दर्पण में वास्तविक प्रतिबिम्ब कैसा होता है?





27. उत्तल दर्पण का उपयोग क्यों होता है?





28. प्रकाश का परावर्तन किसके लिए आवश्यक है?





29. समतल दर्पण में पार्श्व परिवर्तन का क्या अर्थ है?





30. अवतल दर्पण में आभासी प्रतिबिम्ब कैसा होता है?