उत्सर्जन की अवधारणा
परिभाषा: उत्सर्जन वह प्रक्रिया है जिसमें जीव अपने चयापचय (metabolism) से उत्पन्न होने वाले हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं। उदाहरण: मनुष्य मूत्र के माध्यम से यूरिया निकालता है।
- उत्सर्जन जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखता है।
- यह प्रक्रिया जन्तुओं और पौधों में भिन्न होती है।
उत्सर्जन की आवश्यकता
परिभाषा: उत्सर्जन की आवश्यकता इसलिए है ताकि चयापचय से बने विषाक्त अपशिष्ट (जैसे यूरिया, CO₂) शरीर में जमा न हों। उदाहरण: यदि यूरिया शरीर में जमा हो, तो यह गुर्दे की विफलता का कारण बन सकता है।
महत्व:
- शरीर में रासायनिक संतुलन बनाए रखना। उदाहरण: गुर्दे रक्त से अतिरिक्त नमक निकालते हैं।
- विषाक्त पदार्थों को हटाना जो कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकते हैं। उदाहरण: CO₂ का अधिक जमा होना श्वसन में बाधा डालता है।
- शारीरिक कार्यों (जैसे रक्तचाप, pH) को नियंत्रित करना। उदाहरण: मूत्र अतिरिक्त पानी को हटाकर रक्तचाप नियंत्रित करता है।
मानव का उत्सर्जन तंत्र
परिभाषा: मानव उत्सर्जन तंत्र वह तंत्र है जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकालता है। उदाहरण: गुर्दे रक्त को छानकर यूरिया को मूत्र में बदलते हैं।
अंग:
- गुर्दे (Kidneys): दो सेम के आकार के अंग जो रक्त को छानते हैं। उदाहरण: व्यायाम के बाद गुर्दे अतिरिक्त अपशिष्ट को हटाते हैं।
- मूत्रवाहिनी (Ureters): गुर्दों से मूत्र को मूत्राशय तक ले जाती हैं। उदाहरण: मूत्रवाहिनी मूत्र को रिसाव से बचाती है।
- मूत्राशय (Bladder): मूत्र को संग्रहित करता है। उदाहरण: मूत्राशय 400-600 मिली मूत्र संग्रहित कर सकता है।
- मूत्रमार्ग (Urethra): मूत्र को शरीर से बाहर निकालता है। उदाहरण: मूत्रमार्ग मूत्र को नियंत्रित रूप से बाहर निकालता है।
नेफ्रॉन (Nephron):
- परिभाषा: नेफ्रॉन गुर्दे की कार्यात्मक इकाई है जो रक्त को छानकर मूत्र बनाता है।
- संरचना: इसमें ग्लोमेरूलस, बोमैन कैप्सूल, और नलिकाएँ (proximal tubule, loop of Henle, distal tubule) शामिल हैं। उदाहरण: ग्लोमेरूलस रक्त से यूरिया छानता है।
- प्रक्रिया:
- निस्पंदन (Filtration): ग्लोमेरूलस रक्त से पानी, यूरिया, नमक छानता है।
- पुनःअवशोषण (Reabsorption): उपयोगी पदार्थ (जैसे ग्लूकोज, पानी) रक्त में वापस ले लिए जाते हैं। उदाहरण: नेफ्रॉन ग्लूकोज को रक्त में लौटाता है।
- स्राव (Secretion): अतिरिक्त अपशिष्ट नलिकाओं में स्रावित होते हैं।
- मूत्र निर्माण: अंत में मूत्र बनता है और मूत्रवाहिनी में जाता है।
- महत्व: प्रत्येक गुर्दे में लगभग 10 लाख नेफ्रॉन होते हैं। उदाहरण: नेफ्रॉन रक्त के pH को संतुलित रखते हैं।
मूत्र निर्माण:
- रक्त से अपशिष्ट (यूरिया, यूरिक अम्ल) और अतिरिक्त पानी को छानकर मूत्र बनता है।
- प्रति दिन लगभग 1-2 लीटर मूत्र बनता है। उदाहरण: गर्मी में अधिक पानी पीने से मूत्र की मात्रा बढ़ती है।
अन्य जन्तुओं के उत्सर्जन अंग
परिभाषा: विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जन अंग उनकी शारीरिक संरचना और पर्यावरण के अनुसार भिन्न होते हैं। उदाहरण: मछलियाँ गलफड़ों से अमोनिया निकालती हैं।
प्रकार:
- मछलियाँ: गलफड़े और गुर्दे अमोनिया (NH₃) को पानी में उत्सर्जित करते हैं। उदाहरण: मछली तालाब में अमोनिया को गलफड़ों से निकालती है।
- कीड़े (Insects): माल्पीघियन नलिकाएँ (Malpighian tubules) यूरिक अम्ल को उत्सर्जित करती हैं। उदाहरण: कॉकरोच की माल्पीघियन नलिकाएँ यूरिक अम्ल को मल के साथ निकालती हैं।
- केंचुआ (Earthworm): नेफ्रिडिया (nephridia) अमोनिया और यूरिया को त्वचा के माध्यम से निकालता है। उदाहरण: केंचुआ नम मिट्टी में अपशिष्ट निकालता है।
- स्तनधारी (Mammals): गुर्दे यूरिया को मूत्र के रूप में निकालते हैं। उदाहरण: कुत्ते के गुर्दे मूत्र बनाते हैं।
अपशिष्ट के प्रकार:
- अमोनिया (Ammonotelic): अधिक पानी में रहने वाले जन्तु (जैसे मछलियाँ)।
- यूरिया (Ureotelic): स्तनधारी और उभयचर। उदाहरण: मनुष्य यूरिया को मूत्र में उत्सर्जित करता है।
- यूरिक अम्ल (Uricotelic): कीड़े, सरीसृप, पक्षी। उदाहरण: पक्षी यूरिक अम्ल को सफेद मल के रूप में निकालते हैं।
पौधों में उत्सर्जन
परिभाषा: पौधे अपने चयापचय से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को विभिन्न प्रक्रियाओं (जैसे बिन्दुस्राव, रंध्र) द्वारा बाहर निकालते हैं। उदाहरण: पौधे CO₂ को रंध्रों से निकालते हैं।
बिन्दुस्राव (Guttation):
- परिभाषा: बिन्दुस्राव वह प्रक्रिया है जिसमें पौधे जाइलम रस को पत्तियों की नोक या किनारों पर जल बूंदों के रूप में निकालते हैं।
- प्रक्रिया: अधिक जड़ दाब (root pressure) के कारण रात में या सुबह जल बूंदें निकलती हैं। उदाहरण: सुबह घास की पत्तियों पर ओस जैसी बूंदें बिन्दुस्राव हैं।
- महत्व: अतिरिक्त पानी और खनिजों को हटाता है।
अन्य उत्सर्जी पदार्थ:
- CO₂ और O₂: रंध्रों (stomata) के माध्यम से निकलते हैं। उदाहरण: रात में पौधे श्वसन से CO₂ निकालते हैं।
- रेजिन (Resins): चिपचिपा पदार्थ जो छाल में जमा होता है। उदाहरण: चीड़ के पेड़ में रेजिन कीटों से बचाव करता है।
- लेटेक्स (Latex): दूधिया रस जो चोट पर निकलता है। उदाहरण: रबर के पेड़ से लेटेक्स निकलता है।
- गम (Gums): कुछ पौधों में अपशिष्ट के रूप में जमा। उदाहरण: बबूल के पेड़ में गम निकलता है।
- पर्णपात (Shedding of Leaves): पुरानी पत्तियों में अपशिष्ट जमा होकर गिरते हैं। उदाहरण: शरद ऋतु में पेड़ों की पत्तियाँ गिरती हैं।
महत्व:
- पौधों में उत्सर्जन अपशिष्ट को हटाकर स्वस्थ रखता है। उदाहरण: रेजिन कीटों से पौधे की रक्षा करता है।
- पौधों में उत्सर्जन तंत्र जन्तुओं जितना जटिल नहीं होता।
उत्सर्जन का महत्व
- विषाक्त पदार्थों को हटाकर जीवों को स्वस्थ रखता है। उदाहरण: गुर्दे यूरिया को हटाकर रक्त को शुद्ध करते हैं।
- शारीरिक संतुलन बनाए रखता है। उदाहरण: मूत्र पानी और नमक का संतुलन रखता है।
- पौधों में पर्यावरणीय संतुलन में योगदान देता है। उदाहरण: CO₂ उत्सर्जन श्वसन का हिस्सा है।